मैकियावली : आधुनिक राजनीतिक चिन्तन के पिता के रूप में (Machiavelli: As Father of Modern Political Thought)


मैकियावली : आधुनिक राजनीतिक चिन्तन के पिता के रूप में  (Machiavelli: As Father of Modern Political Thought)


मैकियावली आधुनिक राजनीति का जनक मना जाता है। वह मध्ययुग और आधुनिक युग को परस्पर जोड़ने वाली प्रमुख कड़ी है। डनिंग के अनुसार- "मैकियावली मध्ययुग और आधुनिक युग का सम्बन्ध-विच्छेद करने वाला प्रथम विचारक है।" प्रो. जोन्स ने उसे आधुनिक राजनीतिक सिद्धान्तों के पिता की संज्ञा दी है। मैकियावली को आधुनिक राजनीतिक विचारधारा की शुरुआत करने का श्रेय प्राप्त है। उसने मध्ययुग की मान्यताओं और परम्पराओं की उपेक्षा करने के साथ-साथ राजनीति को नवीनव्यावहारिक रूप दिया। डनिंग के अनुसार- "यह कहना कि वह आधुनिक युग का प्रारम्भ करता है, उसी प्रकार सही है जैसे यह कहना कि वह मध्ययुग को समाप्त करता है।" उसे आधुनिक युग का पिता कहने का तात्पर्य यही है कि आधुनिक युग मैकियावली से ही प्रारम्भ होता है तथा इस युग के शुरू होते ही मध्ययुग का अन्त हो जाता है। यद्यपि कुछ विचारक बोदां को आधुनिक युग का पिता मानते हैं क्योंकि उसने आधुनिक राष्ट्रीय राज्यों की मूल विशेषता 'सम्प्रभुता' को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया था, परन्तु मैकियावली ने सर्वप्रथम जिस व्यावहारिक राजनीति का बिगुल बजाया, वह आज भी मान्य है। परन्तु बोदां स्वयं को मध्ययुगीन प्रभाव से मुक्त नहीं कर सका। मैकियावली ने मध्ययुग से पूर्ण नाता तोड़कर नए युग की शुरुआत की। उसने मध्ययुगीन मान्यताओं जैसे सामन्तवाद, पोपतन्त्र, पवित्र रोमन साम्राज्य, दैवी कानून, परलोक की महत्ता, नैतिकता, ईश्वरीय भक्ति आदि को खण्डित करके सर्वथा नवीन विचारधारा को प्रतिष्ठित किया। आधुनिक युग की सभी मान्यताएँ उसके ग्रन्थों में विद्यमान हैं। वही एक ऐसा विचारक है जिसने मध्ययुग का अन्त करके आधुनिक युग की शुरुआत की। वही सर्वप्रथम लेखक है जिसने धर्म और राजनीति का प थक्करण करके धर्मनिरपेक्षता को जन्म दिया। उसने राज्य की श्रेष्ठता, शक्ति की राजनीति और वैज्ञानिक अध्ययन पर बल देकर राजनीति को व्यावहारिक रूप दिया। सेबाइन के अनुसार- "मैकियावली ने राज्य को वह अर्थ प्रदान किया जो आधुनिक राजनीतिक व्यवहार में राज्य के साथ जुड़ा हुआ है।" उसकी रचनाएँ में किए गए कार्यों के आधार पर निस्संकोच कहा जा सकता है कि वह 'आधुनिक युग का पिता' था। इसको निम्नलिखित आधारों पर प्रमाणित किया जा सकता है :-

1. राजनीति और नैतिकता व धर्म के बीच पथक्करण (Separation of Politics from Morality and Religion ) : मैकियावली के राजनीति को धर्म और नैतिकता से अलग करने का महत्त्वपूर्ण कार्य करके धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा का प्रतिपादन किया। उसने कहा कि व्यक्ति की नैतिकता का राज्य की नैतिकता से कोई सरोकार नहीं है। व्यक्ति की दष्टि में घोर अनैतिक कार्य राज्य के लिए सम्माननीय हो सकते हैं। उसके अनुसार राज्य के लिए निरंकुशता, हिंसा, निर्दयता, सामूहिक हत्याएँ, आक्रमण आदि भी आवश्यक हो सकते हैं। आधुनिक राजनीति में जिन अनैतिक साधनों का प्रयोग किया जाता है, वे सभी मैकियावली के राजनीतिक शब्दकोश में पहले से ही विद्यमान हैं। उसने 'प्रिंस' में शासक को । कुछ उपदेश दिए हैं जो व्यक्ति की द ष्टि में गलत हो सकते हैं, परन्तु शासन कला की दष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। आज भी यह माना जाता है कि राजनीति और नैतिकता एक साथ वहीं चल सकती, इसलिए उनका अलगाववाद आवश्यक है। धर्म और नैतिकता का सम्बन्ध व्यक्तिगत जीवन से है जबकि राजनीति का सार्वजनिक क्षेत्र से है। राज्य की सुरक्षा सर्वोपरि वस्तु है। उसने साध्य को साधन का औचित्य बताते हुए अनैतिक कार्यों द्वारा भी राज्य की सुरक्षा को सही ठहराया है। वह धर्म और नैतिकता को एक ऐसे साधन के रूप में प्रयोग करना चाहता था जो राज्य में शान्ति और व्यवस्था कायम करने में सहायक हो। उसने 'प्रिंस' में कहा है- "यदि राज्य का निर्माण करने के लिए पूरे गणराज्य के नागरिकों की हत्या करनी पड़े, लोगों से विश्वासघात करना पड़े, उनकी हत्या छल-कपट से करनी पड़े, अपने वायदों से दूर हटा जा सके - तो ऐसा करना सफल राजा की पहचान होगी।" इस प्रकार राजनीति को धर्म व नैतिकता से प थक् करने वाला प्रथम विचारक मैकियावली ही था और वह धर्मनिरपेक्ष राजनीति का जनक कहलाने का पूरा अधिकारी है।

2. राष्ट्र राज्य की धारणा का पोषक (Supporter of Nation-State) : मैकियावली की रचनाओं में राष्ट्रीय राज्य की अवधारणा का स्पष्ट उल्लेख हुआ है। आधनिक युग राष्ट्र-राज्यों का युग है। इटली की दुर्दशा उसके राष्ट्रवाद का आधार थी। उसने स्पेन, फ्रांस, ब्रिटेन के राष्ट्रीय राज्यों से प्रेरणा लेकर एक इटालियन राष्ट्र का स्वप्न संजोया था। उसकी यह इच्छा थी कि इटली एक सुद ढ़ राष्ट्र के रूप में एकीकृत हो। वह राष्ट्र राज्य की स्थापना के लिए सभी अधार्मिक व अनैतिक कार्यों की छूट देता है। उसने प्रादेशिकता के आधार पर इटली के एकीकरण का समर्थन किया। इस तरह उसने इटली के एकीकरण के माध्यम से आधुनिक राष्ट्रीय राज्यों के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।

3.यथार्थवादी राजनीति की अवधारणा (Conception of Practical Politics) : मैकियावली ने जिस राजनीति का समर्थन किया है, वह यथार्थवादी है। उसने वर्तमान के वैभव और सत्ता के इर्द-गिर्द घूमने वाली चीजों को प्राप्त करना व्यक्ति और प्रशासक दोनों का उद्देश्य माना। उसने राष्ट्र के निर्माण के लिए सारी नैतिकताएँ दाँव पर लगा दीं। उसने कहा कि राष्ट्र के व्यक्तित्व में सार्वजनिक कल्याण की भावना निहित होती है। इसलिए शक्तिशाली राष्ट्र अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। मैक्सी के अनुसार- "मैकियावली ने आचार और राजनीति को प थक् करके सरकार की सफलता की आवश्यकता के अनुसार आचरण करने का सुझाव दिया, यही उसकी ध ष्टता थी लेकिन यही राजनीति के लिए उसकी बहुमूल्य सेवा थी।" उसने व्यक्ति को स्वभाव से दुष्ट बताकर उसे शक्ति के प्रयोग द्वारा सीधा रखने की बात कही है। वह शक्ति का पुजारी है। आधुनिक युग शक्ति राजनीति का युग है। शासक चाहे कोई भी ढंग रचें लेकिन उनकी यथार्थवादी नीति शक्ति पर ही आधारित होती है। शासन का प्रमुख आधार शक्ति होती है। सम्भवतः मैकियावली ही वह प्रथम विचारक है जिसने शक्ति को राज्य का आधार बताकर यथार्थवादी होने का परिचय दिया।

4.सम्प्रभुता का पूर्वसूचक (Fore- Runner of Sovereignty) : यद्यपि मैकियावली ने कहीं भी इस अवधारणा का उल्लेख नहीं किया है फिर भी जिस तरीके से उसने निरंकुश सम्प्रभु का वर्णन किया है। उससे स्पष्ट हो जाता है कि वह सम्प्रभता का पोषक है। वह राज्य को सर्वोपरि संस्था मानता है जिसके आदर्शों और निर्णयों का पालन सभी को करना होता है। उसने राज्य को एक संगठित शक्ति माना है जो हर स्थिति से सर्वोच्च है। सम्प्रभुता की सैद्धान्तिक व्याख्या आगे चलकर बोदां और हॉब्स ने की यह मैकियावली की ही देन है।

5. प्रथम राजनीति वैज्ञानिक (First Political Scientist) : मैकियावली ने राजा के लिए जिन गुरों या सुझावों को अपनाने की सलाह दी, उन्हें इतिहास के प्रमाणों के आधार पर उचित सिद्ध करने का प्रयास भी किया। उसने राजनीति के व्यावहारिक पक्ष पर जोर दिया। वह राज्य के लिए कल्पित साध्यों में विश्वास नहीं करता था। वह राजनीति दार्शनिक नहीं, राजनीतिक यथार्थवादी था। उसने राजनीतिक चिन्तन को जो वैज्ञानिक आधार दिया वह आज भी मान्य है ।

6. मध्ययुगीन विचारधारा पर प्रहार (Attack on Medieval Ideas ) : मैकियावली ने अपनी रचनाओं में दैवीय कानूनों को अस्वीकार करके केवल मानवीय कानूनों के अस्तित्व को ही स्वीकार किया और राज्य को सर्वोच्चता दी। उसने निरंकुश पोपतन्त्र की कटु आलोचना की और राज्य को प्रभुत्व-सम्पन्न तथा चर्च को उसका अनुगामी बताया। उसने मध्ययुगीन राज्यों की एकता । बाधक सामन्तवाद का खण्डन करते हुए उसे अपने राज्य में कोई स्थान नहीं दिया। इस प्रकार उसने मध्ययुगीन विचारधाराओं का खण्डन करने की पहल की। उससे पहले किसी अन्य विचारक ने ऐसा नहीं किया। इसलिए उसे आधुनिक राजनीति का जनक कहा जाता है।

7. राज्य के आधुनिक स्वरूप का वर्णन (Description of the Nature of Modern State) : मैकियावली द्वारा प्रस्तुत राज्य की रूपरेखा भी आधुनिक राज्यों की रूपरेखाओं से बहुत कुछ मिलती जुलती है। उसने इटली के सम्बन्ध में जा चित्र प्रस्तुत किया है, वह आधुनिक राज्यों के समान है। आधुनिक राज्य प्रभुसत्तासम्पन्न, धर्मनिरपेक्ष, स्वतन्त्र, अस्तित्ववान और राष्ट्रीय राज्य है। मैकियावली ने शक्ति संवर्धन राज्य तथा प्रभुत्व विस्तार को राजा के लिए आवश्यक माना है। गैटिल के अनुसार "वह प्रथम आधुनिक राजनीतिक विचारक था जिसने एक प्रभुसत्तासम्पन्न, ऐकिक, धर्मनिरपेक्ष, राष्ट्रीय एवं स्वतन्त्र अस्तित्ववाद राज्य की कल्पना की थी। वह प्रथम आधुनिक यथार्थवादी था जिसने बताया कि राज्य को स्वयं के लिए जीवित रहना चाहिए तथा उसको संरक्षण और हित का उद्देश्य ध्यान में रखना चाहिए। "

8. संघ राज्य का प्रथम उद्घोषक (First Propounder of Union State) : मैकियावली ने इटली के लिए एक ऐसे कॉमनवेल्थ का स्वप्न देखा था जो संघीय व्यवस्था पर आधारित हो । आधुनिक युग में मैकियावली को संघीय व्यवस्था का स्वप्न ही उपयुक्त माना जाता है। वह इटली को लोकतन्त्रात्मक गणराज्य में संगठित करना चाहता था उस समय इटली पाँच राज्यों में बँटा हुआ था। मैकियावली उनका एकीकरण करके शक्तिशाली इटली राष्ट्र राज्य का निर्माण करना चाहता था। उसने 'Discourses' में जिस कॉमनवेल्थ का जिक्र किया है, वह संघ राज्य ही था।

9. अवसरवादी राजनीति का प्रवर्तन (Propounder of Opprtunistic Politics) : मैकियावली शुरु से अन्त तक 'Prince' में शासन कला पर लिखते हुए अवसरवादी राजनीति का ही प्रवर्तन करता है। वह शासक को शेर की तरह शक्तिशाली और लोमड़ी की तरह चालाक होने की बात कहता है। आधुनिक राजनीति 'प्रभाव या प्रभावशाली' का अध्ययन है, उचित या अनुचित कार्यों का नहीं। इसलिए वह अवसरवादी है। आधुनिक युग में राजनीतिक व्यवहार अवसरवादिता पर ही निर्भर है। अवसर पड़ने पर राजनीतिक व्यक्ति अनैतिक कार्यों को करने से भी नहीं चूकते। अतः उसे आधुनिक राजनीति का जनक कहना सर्वथा उचित है।

10. ऐतिहासिक पद्धति का प्रयोग (Use of Historical Method) : मध्यकाल की धार्मिकता से परिपूर्ण और अन्धविश्वासों तथा मूढ़ताओं से भरी अध्ययन पद्धति में प्रगति और वास्तविकता के लिए कोई स्थान नहीं था। मैकियावली ने सर्वप्रथम अनुभव प्रधान ऐतिहासिक अध्ययन पद्धति को अपनाया। उसने अपने सिद्धान्तों की पुष्टि के लिए धार्मिक द ष्टान्तों का सहारा न लेकर इतिहास, तर्क एवं पर्यवेक्षण का सहारा लिया जिसमें उसका चातुर्य तथा सहजबुद्धि काम करती थी । यद्यपि दोषरहित न होने पर भी उसने एक नवीन मार्ग प्रशस्त किया जो आगे चलकर आधुनिक राजनीतिक चिन्तन में उपयोगी सिद्ध हुई। अतः मैकियावली आधुनिक राजनीति विज्ञान का जनक था ।

इस प्रकार मैकियावली द्वारा प्रस्तुत राज्य की रूपरेखा आधुनिक राज्यों से मिलती है। उसका शक्ति सिद्धान्त आधुनिक युग में बहुत महत्त्वपूर्ण है। वह धर्मनिरपेक्षता, प्रभुसत्तासम्पन्न, स्वतन्त्र अस्तित्ववान और राष्ट्रीय राज्य का जिन प्रव त्तियों का वर्णन करता है, वह आधुनिक युग में भी विद्यमान है। उसने आधुनिक युग के लिए यथार्थवादी राजनीति का सिद्धान्त दिया है जो उसकी सबसे अधिक अमूल्य देन है। फिर भी कुछ आलोचक उसे 'आधुनिक युग का पिता' मानने से इंकार करते हैं। वे कहते हैं कि उसने सम्प्रभुत्ता का कहीं भी जिक्र नहीं किया है। उसने ऐतिहासिक पद्धति का गलत प्रयोग किया है। उसने राज्य का सिद्धान्त प्रतिपादित न करके राज्य की कला का प्रदर्शन किया है। सेबाइन का कहना है कि उसका राजदर्शन स्थानीय था। उसका सम्बन्ध इटली से था अन्य देशों से नहीं।

निष्कर्ष तौर पर कहा जा सकता है कि चाहे वह आधुनिक राजनीतिक चिन्तन का जनक न रहा हो पर वह आधुनिक राजनीतिकता का जनक तो था ही। आधुनिक युग में सभी राजनयिक और राजनेता मैकियावली के सिद्धान्तों का बेहिचक पालन करते हैं। उसके साम, दाम, दण्ड, भेद के उपायों का समान रूप से प्रयोग हो रहा है। मैक्सी ने कहा है- "मैकियावली ने राजनीति दर्शन को मध्ययुगीन पांडित्यपूर्ण अस्पष्टवादिता से बचाने के लिए बहुत योगदान दिया और इसलिए उसे आधुनिक युग के महान् राजनीतिक चिन्तकों में सर्वश्रेष्ठ नहीं तो प्रथम राजनीतिक चिन्तक के रूप में तो माना ही जाना चाहिए।"

आधुनिक राजनीति का सबसे प्रधान तत्त्व राष्ट्र और राष्ट्रीयता मैकियावली की ही देन है। आधुनिक राजनीति में व्यवहारवादी अध्ययन उसकी एक महत्त्वपूर्ण देन है और Prince' आधुनिक शासन कला के तरीकों का एक सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है। अतः मैकियावली को आधुनिक राजदर्शन का जनक होने का गौरव प्रदान करना ही चाहिए।

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